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हमारी सामाजिक परम्परा अनुसार बेटी शादी होने पर घर से विदा होती है । वह एक ऐसा जहाज है जिसे समुद्र में जाना ही पड़ता है । इसके लिए बन्दगाह को छोड़ना ही पड़ता है । लेकिन बेटी माता-पिता के दिल से कभी विदा नहीं होती है । बेटी की जड़ें सदैव पीहर में ही रहती है । बेटी यह तुम्हारा पहला घर है । सदैव तुम्हारा बना रहेगा तुम हमारे दिल में ही नहीं इस घर में भी पूर्ववत् ही सदैव रहोगी । यह घर पूर्ववत् तुम्हारा भी है । इसे पराया न समझना । यहां पर जो संस्कार, मूल्य व सोच पायी है यह तुम्हारे जीवन की आधार शीला है । ससुराल तुम्हारा अपना दूसरा घर होगा । तुम इस घर की आधी वारिश हो और सदैव रहोगी । तुम्हारा दान मैने नहीं किया है । मैने कन्यादान नही किया है । मेरी कन्या वस्तु नहीं है । मेरी बेटी एक व्यक्ति है । तुम्हारे साथी/दोस्त से तुम्हे मिलाया है ताकि साथ मिलकर बेहतर जी सको । गृहस्थ धर्म का पालन कर सको । ताकि जीवन की पूर्णताः प्राप्त कर सको एवं विश्व की सृजन वाटिका में अपना सहयोग दे सको । पुरूष व स्त्री दोनो एक दूसरे के बिना अधुरे हैं । तभी तो हमारे यहां अर्द्धनारीश्वर की कल्पना शिवजी में की गई है । स्त्री व पुरूष समान नही होकर एक दूसरे के सहयोगी है । स्वतंत्रा की वेदी पर सामन्जस्य की वृद्धि न खोयें । एक दूसरे के सहयोग से जीवन संवरता व सजता है । आज से तुम मुझे जरूर कुछ जिम्मेदारियों से मुक्त कर रही हो । अथार्त खुद अपनी जिम्मेदारी ले रही हो ।अब तुम समझदार हो गयी हो । इसे याद रखना । इससे आगे की यात्रा का भार तुम्हे वहन करना है, तुम समर्थ हो । किसी के भी माता-पिता सदैव साथ में नहीं रहते है एवं कोई भी बच्चा अपनी जिम्मेदारी लेने पर बच्चा नही रहता है... अपनी प्रतिक्रियाओं को जानो । बेहोशी में जवाब मत दो । सुनना एक कला है । छोटी-छोटी बात पर तत्क्षण बड़ी प्रतिक्रिया मत करो। 

पिता की तरह तनुक मिजाज मत रहना । सोच-समझ कर प्रतिक्रिया करना । गुरूजिएफ के अनुसार नकारात्मक प्रतिक्रिया के पूर्व चैबिस घंटे न रूक सको तो चैबिस मिनिट जरूर रूकना । इससे आप बहुत सारे झंझटों से बच जाओगे व गृहस्थ धर्म अच्छी तरह निभा पाओगे । घर की चारदिवारी के भीतर स्त्री का शासन हो व बाहर पुरूष का शासन अच्छा माना गया है ।शादी एक समझौता भी है । अपने साथी को तत्काल जवाब मत दो । किसी को बदलना सरल नहीं है । लचीलापन पैदा करो । सहने वाला जीतता है । तर्क से बात नहीं बनती है । पति पर झुंझलाना ठीक नहीं है । बिगड़ी बात सम्भालना सीखो । झगड़े के बाद पुनः अपना बनाना आना चाहिये । इसमे तुम अपनी मम्मी से प्रेरणा ले सकती हो।मेरी दुआएं सदैव तुम्हारे साथ है । तुम और अधिक पाओ । तुम्हे ओर ज्यादा मिले । वधु ससुराल में कैसे जिते दिल ? प्रेम में बड़ी शक्ति है । जब कोई कार्य प्रेम से नहीं हो सकता है तो वह भय से भी नहीं करा सकते हैं । परिवार में सम्बन्ध बहुत नाजुक होते हैं । इन सम्बन्धों को सम्भालना पड़ता है । उनके लिए विशेष कौशल की जरूरत पड़ती है जो तुम्हारे पास है । प्रारम्भ में ससुराल में सभी लोग विनम्रता की अपेक्षा रखते हैं । शादी के प्रति स्वप्निल न रहे, यथार्थ को स्वीकारें, अपनाएं । हम ज्यादा दिन रोमांटिक नहीं रह सकते । परिवार व जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू होना पड़ता है । अतः कल्पनाओं से बचें । तथ्यों को स्वीकारें । 24 घंटे साथ रहने पर छोटी-छोटी बातें कई बार चिढ़ाती है । आपको संतुलन कायम रखना है । अपने लिए वक्त निकालना है..बड़ी समस्या हमसे शेयर करो । हमसे अनावश्यक बड़ी बात मत छुपाना । छोटी-छोटी वो बात जो भावी जीवन को खतरे में डाल सकती है, ऐसी हो तो जरूर बताएं। मम्मी-पापा चिन्ता करेगें-इस तर्क पर ध्यान न दे । बात बिगड़ेगी तो उन्हे ही परेशानी होगी । इसलिए अपनो से छिपाना मत।