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कर्कश भाषा ह्रदय को चुभने वाली, कई वार बेहद गहरे घाव देने वाली होती है। और अगर यही तीर जैसे शब्द अगर नारी के मुख से निकलें तो उसके स्वभावगत गुणों, स्नेहशीलता, ममता, कोमलता का स्वाभाविक अपमान होगा। और यह बात ख़ास तौर पर, भारतीय परिवेश में, घर के बड़ों के सामने चाहे मायका हो.या ससुराल, जरूर याद रखना चाहिए। अपने से बड़ों को दुःख देकर सुख की इच्छा करना व्यर्थ है।

नारी की पहचान कराये
भाषा उसके मुखमंडल की
अशुभ सदा ही कहलाई है
सुन्दरता कर्कश नारी की।
ऋषि मुनियों की भाषा लेकर तपस्विनी सी तुम निखरोगी
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी।

कटुता , मृदुता नामक बेटी
दो देवी हैं, इस जिव्हा पर
कटुता जिस जिव्हा पर रहती
घर विनाश की हो तैयारी।
कष्टों को आमंत्रित करती, गृह पिशाचिनी सदा हँसेगी।
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी।

उस घर घोर अमंगल रहता
दुष्ट शक्तियां ! घेरे रहतीं।
जिस घर बोले जायें कटु वचन
कष्ट व्याधियां कम न होतीं ,
मधुरभाषिणी बनो लाडिली, चहुँ दिशी विजय तुम्हारी होगी।
पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी।

घर में मंगल गान गूंजता,
यदि जिव्हा पर मृदुता रहती
दो मीठे बोलों से बेटी।
घर भर में दीवाली होती
उस घर खुशियाँ रास रचाएं। कष्ट निवारक तुम्ही लगोगी।
पहल करोगी अगर नंदिनी। घर की रानी तुम्ही रहोगी।

अधिक बोलने वाली नारी
कहीं नही सम्मानित होती
अन्यों को अपमानित करके
वह गर्वीली खुश होती है,
सारी नारी जाति कलंकित। इनकी उपमा नहीं मिलेगी।
पहल करोगी अगर नंदिनी।घर की रानी तुम्ही रहोगी