"आज जहाँ एक ओर दुनिया सिमट रही है, वहीं दूसरी ओर रिश्ते और परिवार टूट
रहे हैं. एक-दूसरे के प्रति हमारी संवेदनाएं कम होती जा रही हैं। हमारी
व्यवस्तएं, हमारे अवसादों की छाया हमारे रिश्तों पर दिखने लगी है। नतीजतन
रिश्ते अपना औचित्य, अपनी गरिमा खोते जा रहे हैं। इन सबके बीच हम यह भू
जाते हैं कि स्वास्थ्य रिश्ते एक परिपक्व समाज की दरकार हैं, इसलिए सबसे
जरूरी यह है कि हम यह जाने कि हमारे रिश्ते किन बीमारियों से जूझ रहे हैं
यानी वे कौन-सी भावनात्मक बीमारियाँ हैं, जो रिश्तों को खोखला कर रही हैं.
साथ ही रिश्तों से जुड़े उन पहलुओं के बारे में भी जानें, जो रिश्तों की इन
बीमारियों को दूर करने में टानिक का काम करती हैं।"
रिश्तों की बीमारियाँ
शक और अविश्वास - जी हाँ, रिश्ते की सबसे बड़ी व भयंकर बीमारी है शक, किसी
भी रिश्ते में खासकर पति-पत्नी के रिश्ते में अगर शक पनपने लगे, तो समझ
लीजिये कि आपके रिश्ते को आई.सी.यू. की जरूरत है। शक या संशय के साथ किसी
भी रिश्ते को ज्यादा दिनों तक नहीं निभाया जा सकता। आप जिस व्यक्ति या
रिश्ते पर शक कर रहे हैं, उससे आप कभी प्रेम या जुड़ाव नहीं कर पायेंगे।
यदि आप किसी रिश्ते से बंधे हैं, तो आपको चाहिए कि उसे पूरे दिल से
स्वीकार करें। यदि आपको किसी पर अविश्वास है, तो इसका मतलब है कि आपके
रिश्ते में खटास है और उस रिश्ते को आपने पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया
है। अविश्वास किसी भी रिश्ते के लिये घातक है. फिर चाहे बात माँ बेटी की
हो, सास-बहू की या फिर ननद-भाभी की।
द्वेष या जलन- किसी से द्वेष या
जलन की भावना जहाँ एक ओर आपको आपके प्रियजनों से दूर करती है, वहीं दूसरी
ओर आपके व्यक्तित्व को भी खराब करती है। किसी से द्वेष या जलन की भावना
बीमारी होने से ज्यादा बुरी है। यह आदत आपके किसी एक रिश्ते को नहीं,
बल्कि सारे रिशों को बीमार कर सकती है. आप किसी एक से जलना शुरू करेंगे और
फिर धीरे-धीरे आप हर किसी से जलने लगेंगे।
बेवफाई- किसी भी रिश्ते
में बेवफाई या बेईमानी उस रिश्ते की जड़ों को ही खोखला कर देती है। किसी के
विश्वास और प्रेम को ठेस पहुंचाकर कोई रिश्ता नहीं निभाया जा सकता।
क्रोध- क्रोध रिश्तों की उम्र को कम करता है. क्रोध से रिश्तों में दूरियां
आती हैं। क्रोधित व्यक्ति अक्सर गुस्से में रिश्तों की मान-मर्यादाओं को
भूल जाता है।
अभिमान या ईगो- हमेशा याद रखें कि आत्मसम्मान और ईगो
दो अलग-अलग चीजें हैं, इसलिए रिश्ते निभाने में किसी भी जिम्मेदारी को ईगो
या झूठी प्रतिष्ठा से न जोड़ें, जैसे- "हमेशा मैं ही क्यों फोन करूं, वह
क्यों नहीं फोन करता या करती।"
"हमेशा मैं ही क्यों माफी मांगू." आदि.
उपेक्षाएं- रिश्तों में उपेक्षाओं का होना स्वाभाविक है और रिश्ते को
ज़िंदा रखने के लिये कुछ हद तक ये जरूरी भी है। लेकिन उपेक्षाएं जब हद से
ज्यादा बढ़ जाएं तो यह किसी बीमारी से कम नहीं. उपेक्षाओं का बोझ बढ़ने से
रिश्ते दम तोड़ देते हैं।
रिश्तों के टानिक
प्रेम-जिस रिश्ते में
निस्वार्थ व निश्चल प्रेम है, उस रिश्ते को किसी और टंकी की जरूरत ही
नहीं. जिस रिश्ते में प्रेम है, उस रिश्ते की उम्र अपने आप बढ़ जाती है.
प्रेम हर रिश्ते को खुशनुमा व तरोताजा बनाए रखता हैै।
समय- रिश्तों
को समय देना बहुत जरोर्री है। आप अपने रिश्तों को कितना समय देते हैं,
उससे यह तय होता है कि वह रिश्ता आपके लिये कितना मायने रखता है. एक-दूसरे
के साथ, परिवार के साथ समय बिताने से रिश्तों में प्रेम व विश्वास बढ़ता है।
विश्वास- एक समृद्ध रिश्ते के लिये आपसी विश्वास होना बेहद जरूरी
है। विश्वास दोनों तरफ से होना चाहिए. रिश्तों में विश्वास होने का मातब
है कि आपका कोई भी रिश्ता फल-फू रहा है।
संयम- रिश्तों को कभी-कभी
विषम परिस्थितियों से भी गुजरना पड़ता है, ऐसे में संयम बरतें। यदि कोई एक
अपना विवेक खोता भी है, तो दूसरा अपना संयम बनाए रखे, ताकि आपके रिश्ते में
दरार न पड़े।
समझदारी- किसी भी रिश्ते को निभाने के लिये परिपक्व
विचारों की आवश्यकता होती है । एक-दूसरे की भावनाओं और परिस्थितियों को
समझने की कोशिश करें. हर साझेदारी को पूरी समझदारी से निभाएं। इस तरह
रिश्ते की हर छोटी-मोटी समस्या को आप समझदारी से सुलझा सकते हैं।
स्पेस- कुछ समय पहले तक शायद इस टानिक की जरूरत रिश्तों को नहीं थी, पर आज
के बदलते परिवेश में इसकी जरूरत हर रिश्ते में हैं. हर रिश्ते में एक-दूसरे
के स्पेस का हमें आदर करना चाहिए। एक-दूसरे के मामलों में ज्यादा
हस्तक्षेप न करें। आज हर किसी को खुद के लिये कुछ स्पेस की जरूरत है और
इसमें कुछ गलत नहीं है। आप अपने रिश्ते को जितनी स्पेस देंगे, उतनी ही
उनमें घुटन कम होगी।
इन सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप में किसी
रिश्ते को निभाने की दृढ इच्छाशक्ति होनी चाहिए, ताकि आप उन रिश्तों को
पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रत्यन कर सकें. आप जिनके साथ रिश्ता बाँट रहे
हैं, उनका आदर, उनकी भावनाओं का आदर, उनके व्यक्तित्व का आदर करें. किसी
भी रिश्ते को टूटने न दें, क्योंकि हर रिश्ता अनमोल है।
स्वर्णकार रिश्ते
एडमिन टीम
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