Article Detail

 

प्रत्येक युवा दिल की हार्दिक अभिलाषा होती है की उसका जीवनसाथी बेहद सुन्दर हो आकर्षक हो। भला सुंदरता किसी अच्छी नहीं लगती? रूप किसे नहीं भाता ? सूंदर चितवन किसे सुखद नहीं लगती ?
सुंदरता क्या है ? क्या कोई मापदंड निर्धारित करके मापा या तौला जा सकता है ?यदि सूंदर को ही जीवनसाथी बनाएंगे
तो कम सूंदर या असुंदर का क्या होगा ? आइये वास्तव में सुंदरता क्या है इस पर विचार करे।
मेरे एक मित्र श्रीमान "कमल" है। उनकी बेहद सूंदर पत्नी है। तीखे नाक गोरा रंग अच्छी कद-काठी है। सूंदर पत्नी होते हुए भी उनकी गृहस्थी में हर समय तनाव रहता है। तनाव का कारन है उनकी पत्नी का व्यवहार।
श्रीमतीजी अत्यंत स्वार्थी और एकाकी व्यवहार के स्वाभाव की है। उन्हें हर बात अपने ढंग से पसंद है। उनकी इच्छा के विपरीत कोई भी बात कार्य या घटना हो जाने के बाद बेहद उग्र या बिलकुल चुप्पी धारण कर लेती है।

हमारे एक रिश्तेदार है "श्रीमान रमेशजी" उनकी पत्नी भी बहुत आकर्षक व् सूंदर व्यक्तिव की मालकिन है। साथ ही शिक्षित भी पर उनके दाम्पत्य जीवन में ही पुरे परिवार में श्रीमतीजी के कारण हर वक़्त तनाव रहता है।
कारण श्रीमतीजी की वाणी जो की तेज और कटु है वो जो भी बोलती है उनकी सुंदरता का घमंड उनकी वाणी में झलकता है।
उनके बोलने का अंदाज इतना तीव्र होता है की सुनने वालो को आघात जैसा लगता है।

एक और मित्र है श्रीमान योगेशजी। उनकी पत्नी भी दिखने में अत्यंत सूंदर है। श्रीमतीजी की सुंदरता के चर्चे न घर के लोग बल्कि
मित्र रिश्तेदारी में भी चलती रहती है। इन चर्चाओ ने श्रीमतीजी को बहोत अभिमानी बना दिया। अब तो हालात हो गई है की इस सुंदरता के अभिमान के सामने वो परिवार तो क्या स्वयं पतिदेव
को भी हर समय दब्बू बनाकर रखती है। अपनी सुंदरता के आगे उन्हें सब बाते तुछ और सभी लोग छोटे लगते है।

आइये ! उपरोक्त बातो को समझते हुए जीवनसाथी की सुंदरता क्या है ? इस बात पर विचार करे।
व्यवहार कुशलता,शिक्षा वाणी का माधुर्य पति और परिवार के प्रति कर्तव्य बोध उनसे ऊपर शारीरिक सुंदरता का कोई आधार नहीं हो सकता है।
व्यवहार कुशलता जीवन के सभी क्षेत्र अति आवश्यक है। व्यतिगत,पारिवारिक अथवा अन्य कोई क्षेत्र हो व्यवहार कुशलता
की जरुरत सबसे पहले पड़ती है। अतः हमें सर्वप्रथम गुण जीवनसाथी में व्यवहार कुशलता का देखना चाहिए।
दूसरा गुण वाणी में मिठास जो दिल पर भी दवा का काम करती है। फिर रोजमर्रा के जीवन में तो अमृत घोल देती है। मीठे वचन सभी को सहज और सुहावने लगते है। हम देखते है अनेक बार हम अपने आपको अधिकार पूर्वक दूसरे के सामने पेश करते है दूसरे के मीठे वचन सुनकर हमारा अधिकार क्षण भर में गायब हो जाता है।
अतः जीवनसंगनी के चयन के समय वाणी के माधुर्य को अवश्य ही गुण रूप में देखना चाहिए।
तीसरा गुण जीवनसाथी के चयन के समय देखना चाहिए की उसमे कर्तव्य बोध कितना है। हमें यह गुण परखने के पहले खुद को यह समजना चाहिए
की हमारी व्यग्तिगत,पारिवारिक व् आर्थिक स्थिति कैसी है ? हम स्वयं कितने पढ़े लिखे बुद्धिमानी है।

मेरे एक रिश्तेदार राजस्थान में रहते है। उनकी शिक्षा वही पर हुई है। उनका अंग्रेजी भाषा का ध्यान बहुत अल्प है लेकिन जीवनसंगिनी के चयन
के समय उनका माप दंड यही था की मेरी पत्नी शहर की रहने वाली हो /अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी लिखी हो। आधुनिक विचारो की हो।
भाग्य से उन्हें वैसी जी पत्नी मिली। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा। अब पत्नी की आधुनिकता और अंग्रेजी का ध्यान के आगे बेचारे असहाय जीवन जी रहे है।

कहने का मतलब पहले स्वयं का दायरा समझ लेना चाहिए। फिर जीवन संगिनी का चयन करते समय अपनी इच्छाये,परिस्थितीया और घरेलू वातावरण के अनुसार देखना चहिये। ताकि विचारो व् कार्यो असमानता रहने का जोखिम ना रहे।

इसका तात्पर्य यह नहीं की सुंदरता का कोई अर्थ नहीं है। सुंदरता प्रकृति की अनुपम देन है। लेकिन शिक्षा व्यवहार कुशलता मधुर वाणी तथा कर्तव्य ध्यान के बिना इसका मोल अधूरा है। शिक्षित जीवन संगिनी जीवन में सहायक व् कही कही तो पथ प्रदर्शक भी बन जाती है। व्यवहार कुशल पत्नी जीवन के सुख दुःख में अपने
व्यवहार,प्यार और करुणा से घर परिवार को संभाले रखती है चाहे परिस्थिति कोई भी हो। मधुर वचन से हर परिस्थितियो को सहज और आसान बना देती है। कर्तव्य ध्यान होने पर हर कदम पर सहयोगी बन जाती है। ऐसे गुणों के समकक्ष सुंदरता का भला क्या मोल हो सकता है।


संकलन
स्वर्णकार रिश्ते
www.swarnkarrishtey.in