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नव युवा लड़कियों की हार्दिक इच्छा होती है की उनका जीवनसाथी बेहद आकर्षक व् सूंदर हो।
अपने परिचय परिवार,समाज ,मोहल्ले अथवा चर्चित खिलाडी या फ़िल्मी हीरो में से, कोई सपनो का राजकुमार बन ही जाता है। उसकी वेश भूषा बातचीत का ढंग पहनावा व् अदाएं दिल दिमाग पर छा जाती है।
स्वयं चाहे कैसी भी हो लेकिन चाहत बहुत उच्ची बना ली जाती है। ऐसे में जब वास्तविकता का सामना होता है तब तक सपने टूटते नजर आते है। मन खिन्नता व् बेबसी से भर जाता है।
सच्चाई तो यह है-जीवन साथी के चयन में सबसे पहले यह देखना चाहिए की लड़का आत्मनिर्भर है या नहीं ?
स्वयं का कोई व्यापर नोकरी या धंधा करता है या नहीं। उसमे किसी तरह का खान पान रहन सहन की बुराई तो नहीं है।
व्यवहार कुशलता व् बुद्धिमत्ता का गुण भी ऊच्चा मायना रखता है।
शारीरिक व् मानसिक स्वास्थता जरुरी है। आर्थिक निर्भरता सबसे जाता जरूर है। उसके संस्कार और सोच,शिक्षा भी बहोत जरुरी है।
इन गुणों के सामने सुंदरता वेशभूषा व् बातो की चपलता का कोई महत्व नहीं रखता है। यह माना की हमारे समाज में भी भी लड़के के चयन में लड़की की राय कम मात्रा में जानी जाती है लेकिन फिर भी लड़कियो को चाहिए
की वो गुणवत्ता के आधार पर अपना निर्णय तय करे क्योकि जीवन का कटु सत्य है की प्रेम करना आसान है गृहस्थी बसाना आसान है
लेकिन चलाना और निभाना नहीं है। सुंदरता और आकर्षण के प्रति लगाव कुछ दिनों में ठंडा पड जाता है। व्यावहारिक रूप से गुणों के आधार पर ही गृहस्थी की गाड़ी चलाई जा सकती है। ऐसे में व्यवहार कुशलता ,मीठी वाणी ,कर्तव्य ध्यान,संस्कार, आत्म निर्भरता और शिक्षा के आगे सुंदरता कही भी नहीं ठहरती है।
इसलिए लड़कियां अपने जीवनसाथी का चयन सोच समझकर और सुंदरता से बढ़कर उसके संस्कार ,व्यवहार कुशलता,शिक्षा व आत्म निर्भरता के पहलु को ध्यान में रखकर करे तो गृहस्थी सुखी हो सकती है।





संकलन 🖌
*स्वर्णकार रिश्ते*
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