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हमारे समाज में आजकल शादी के वर की तलाश करना किसी भी लड़की के माँ-बाप और परिवार के लिए बहोत कठिन काम हो गया है। आज हमारे समाज के लोगो की सोच में काफी परिवर्तन आया है और ये जमाना पढाई-लिखाई का है। समाज में लडकिया पढ़ लिख कर आगे बढ़ रही है लेकिन उनके हिसाब से लड़के पढ़ नहीं रहे है और अपने ज्वेलरी बिज़नेस को सभाल रहे है। यही लड़के-लडकियों पढाई के कमी शादी के लिए चिंता का कारण बन रही है।

समाज के लड़की के परिवार चाहते है की उनको अपनी पढ़ी लिखी लड़की के लिए अच्छा पढ़ा लिखा लड़का मिले जो सर्विस कर रहा हो और लडकिया भी अपना जीवनसाथी एक पढ़ लिखा और सर्विस क्लास चाहती है क्योकि वो खुद पढ़ी-लिखी है तो उसकी सोच भी सही है।
लेकिन हमारे समाज के अधिकतर लड़के स्वर्णकारी व्यवसाय से जुड़े हुए है इसका अर्थ यह नहीं है की असली योग्यता में कोई कमी है। वर्त्तमान में धन का मह्त्व अत्यधिक है,केवल शिक्षित होना ही सबकुछ नहीं है। यदि उच्च शिक्षित पति मिल जाये और उसमे व्यवहारी योग्यता ना हो तो वो पति किस काम का।यदि अच्छी व्यावसायिक योग्यता रखने वाला जीवनसाथी मिले तो उसे भी महत्व दे।
इस सोच को बदलते ही जटिल समस्याये हल हो जाएगी और विवाह सही समय पर ही संपन्न होंगे। जैसे बीए,बीकॉम,एमए,बीएसी जैसी योग्यता लड़के लडकियों की कमी नहीं है। विवाह तो एक समझोता है। जो किसी ना किसी बिंदु पर करना ही है चाहे वो आयु की बात हो या शिक्षा की या फिर रंग रूप की। सर्वगुण संपन्न जीवनसाथी की कल्पना साकार होना आज के ज़माने में संभव ही नहीं है।अंत आथिक स्तर को भी महत्व दे।क्योकि इसे बढ़ने में यदि पति-पत्नी दोनों परिश्रम करेंगे तो धना भाव तो दूर होगा लेकिन घर ना संभाल पाने की परिशानिया भी बढ़ेगी।
महिलाये घर बैठे व्यवसाय कर सकती है।जिसे परिवार और बच्चो का ध्यान भी रखा जा सकता है।नहीं तो आजकल बच्चे टीवी,कार्टून,फिल्म और इन्टरनेट से संस्कारहीन हो रहे है।अंत युवतिया अपनी यह सोच बदले की अधिक शिक्षित जीवनसाथी ही योग्य होगा या सरकारी नोकरीशुद्धा या सर्विस क्लास लड़के से ही विवाह करेंगी तो इसी खोज में काफी समय निकल जायेगा और साथ साथ विवाह योग्य आयु भी। 
यदि जीवनसाथी कम शिक्षित हो लेकिन अच्छी व्यवसायिक योग्यता वाला जीवनसाथी और परिवार मिलता है तो उसे भी महत्व दे।इसलिए उसे विवाह के बाद नोकरी करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और अगर वो और जीवनसाथी चाहे तो व्यवसाय कर अपने घर और पति के लिए हाथ बटा सकती है।इससे उन्हें भावी पीढ़ी (बच्चो) के पालन पोषण के लिए धन और समय दोनों की उपलब्धता रहेगी और युवतियों की सोच बदलने से अभिभावको की योग्य की खोज शीग्र पूरी हो जाएगी।
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श्रीमती दुर्गा सोनी 
अध्यक्ष -आदर्श मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार महिला मंडल 
कोटा