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जब हाथ पैरों में दम रहता है तब तक पुरुष स्त्री को दोयम दर्जे का व्यवहार कर,हर समय धिक्कार कर रखता है लेकिन जैसे ही हाथ पैर जवाब देने लगते है वही पत्नी सारे दुर्व्यवहारों को भुलाकर पति की सेवा करने में जुट जाती है। यही हिंदुस्तानी तहज़ीब है। 
तो पति महाशय ! 
एक दिन घुटने थकना ही है और पत्नी के सहारे की जरूरत पड़ेगी ही, 
फिर आज से ही उसके साथ सद्व्यवहार कर लीजिए,जिससे बुढ़ापे में सेवा कराते शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा।
"जीवन का संध्याकाल में पत्नी से बड़ा कोई सहारा नहीं। 
इसलिए युवावस्था में उसकी क़द्र कर लीजिये,पत्नी बुढ़ापा सुधार देगी।"




स्वर्णकार रिश्ते 
एडमिन टीम 
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