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विवाह नवजीवन का सूत्रपात है।अचानक से एक नए परिवेश में,नए लोगो के बिच,भिन्न खानपान,रीतिरिवाजों और संस्कारों से रूबरू होना पड़ता है।अपना साथ सन्मानजनक बनाने के लिए पलटकर जवाब मत दो, सुनने की आदत डालो,चिढो मत क्योंकि जब तक कोई तुम्हे उनके खानपान,रीतिरिवाज,तौर-तरीके की आदतें नही सिखाएगा,आपको मालूम कैसे पड़ेगा। याद रहे महारानी बनने के लिए संघर्ष के इस रास्ते होकर गुजरना ही होगा। या तो सुनकर सीखकर परिपक्व हो जाओ और राज करना या फिर मायके में भाभी से बेइज्जत होकर घुटघुट कर रहना। सोच लीजिये क्या अच्छा है।
"इसलिए संघर्ष करना सीखों,जरा जरा सी बात पर घर मत छोड़ो।तुम्हारी इज्जत ससुराल में है,तुम्हारे मायके की इज्जत तुम्हारी भाभी है।" 
शादी के बाद ससुराल का संघर्ष खट्टामीठा एव सम्मानजनक और शुरुवाती कुछ सालों का होता है और मायके का संघर्ष कष्टकारी एव लंबा होता है।


स्वर्णकाररिश्ते
एडमिन टीम
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