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किस घर में विवाद नहीं होता लेकिन पति पत्नी के विवाद शयन कक्ष में निपट सकते है पर इस विवाद के दौरान क्षणिक सहानभूति प्राप्ति के उदेश्य से दोनों द्वारा बनाये गए साक्षी जैसे माता,पिता,भाई,भाभी,पडोसी,मित्र आदि को देखकर दोनों का अहम जिन्दा हो जाता है,जो मिलाप में बाधक हो जाता है। इसलिए भोजन भजन प्यार और विवाद एकांत में ही करे। हमेशा शादीशुदा युवापीढ़ी ध्यान में रखे आपका परिवार बिखराव से ज्यादा दूर नहीं अगर आप अपने और पति के निजी मामलो में किसी तीसरे (माता,पिता,भाई,भाभी,पडोसी,मित्र आदि) की दखलंदाजी बर्दाश करते है। वैवाहिक जीवन में किसी तीसरे की दखलंदाजी फिर वो आपकी माँ हो या पिता या भाई भाभी हो या मित्र या पडोसी हो बर्बादी का कारण बनती है। पति पत्नी को अपना विवाद या गलतफैमी अपने बैडरूम में बात झगङे कर सुलह कर लेनी चाहिए क्योकि मीडिएटर या तीसरा कोई आपके विवाद को रास्ते पर लाकर तमाशा बनाकर रखता है फिर आपके कितने ही कोशिश करने में सुलह नहीं हो सकता और आपके रिश्ते खत्म कर पूर्णविराम देता है। इसलिए आपके घमंड/गलतफैमी/दरार को बात करके अपने बैडरूम में ही बात करके खत्म करे। हमेशा कोशिश करे की अपने वैवाहिक जीवन में आप सहनशील और समझौतावादी बने यही सुखी जीवन का रास्ता भी है क्योकि जो सहनशील और समझौतावादी नहीं है उनका गृहस्थ जीवन सफल नहीं हो सकता। सहनशील और समझौतावादी से हम बहोत से परिवारिक विवाह या कलह को दरकिनार कर सकते है। एक छोटीसी गलतफैमी आपके वैवाहिक जीवन में बहोत से तकलीफे,दरार या कड़वाहट का कारण बन सकती है 
इसलिए ऐसे परिस्थिति आ जाती है तो तब आप चुप रहे,वादविवाद और जवाब देने से बचे,समय या उपरवाले पर सबकुछ छोड़ दीजिये। 
कुछ समय के साथ परिस्थिति बदलती है इसलिए समय बदलने के लिए कुछ समय देना सीखिए। 
सब गलतफैमी/विवाद समय के साथ अपने आप खत्म हो जायेगे और आपके वैवाहिक जीवन में फिर से 
बहार जरूर आएगी। इसलिए अपने छोटे मनमुटाव/झगडे/गलतफैमी में तीसरे को कभी शामिल ना करे अपने विवाद मनमुटाव अपने पति से साथ बैडरूम में ही समाप्त करे और कभी भी अपने वैवाहिक जीवन में तीसरे को दखअंदाजी करने का मौका ना दे फिर आपकी खुद की माँ क्यों ना हो।

समाजहित में प्रकाशित।


स्वर्णकार रिश्ते 
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