Article Detail

 

जब बेटी ब्याहते हो तो दामाद के पाँव पूजते हो। बेटी को ससुराल के कायदे सीखने में संघर्ष करना तो पड़ेगा। ऐसे में कई खट्टे मीठे क्षण आएँगे जहाँ आपका झुकाव बेटी की और जाएगा। पर उस समय क्रोध न करें , संयम से काम लें ,आपका पल भर का क्रोध या तो बेटी-दामाद के अलगाव का कारण बनेगा या उम्र भर उलाहने सहने का। शांति से समझाएं । दामाद धर्म का बेटा है,उसके साथ दुर्व्यवहार न करें अन्यथा यह आपकी बेटी के दुःख का कारण बनेगा। 

अगर दामाद से कोई गलती या भूल हो जाये तो उससे मिलकर बात को जानकार दामाद को २-३ बार समझाने और उसकी गलती का अहसास कराने प्रयास करे। ससुराल के कायदे में ढलने के लिए बेटी यदि संघर्ष करे तो उसे सही मार्ग दिखाएँ,परिस्थिति को सुधारने का प्रयास करें,ऐसी सलाह न दें जिससे बात और बड़े। दामाद से सद्व्यवहार रखें,विपरीत परिस्थितियों में क्रोध के वशीभूत होकर दामाद से बदतमीजी न करें।दामाद की कद्र करोगे तो बेटी को कद्र प्रतिफल स्वरूप मिलेगी।

समाजहित में प्रकाशित




स्वर्णकार रिश्ते 
www.swarnkarrishtey.in