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किसी भी रिश्ते के गहरे होने की पहली शर्त होती है सम्मान। सिर्फ पति-पत्नी ही नहीं, तमाम रिश्तों से लेकर यारी-दोस्ती तक में एक-दूसरे के प्रति सम्मान बेहद अहम् है। हंसी-मजाक के दौरान भी यदि हम हद से आगे बढ जाते हैं, तो सामनेवाले को ठेस पहुंचती है। ऎसे में यह बात समझना जरूरी है कि हर चीज की हद होती है। अपने दायरों को लांघते ही जैसे ही हम हदों को पार कर जाते हैं, तो वहां सम्मान खत्म हो जाता है और रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पडता है। हम रिश्तों को सम्मान दे रहे हैं या नहीं, इसे इन कसौटी पर परखें-

• अगर हम किसी बात पर असहमत हैं,पर हम अपनी ही बात और राय को महत्व देकर सामनेवाले को सुनना ही ना चाहे और उससे भी यह उम्मीद रखें कि वो हमारी ही सुने, तो यह उसके सम्मान को आहत करेगा।
• हर समय सिर्फ अपनी जरूरतों के बारे में ही सोचना। 
• सबसे मजाक करना, लेकिन जब कोई आपसे मजाक करे, तो बुरा मान जाना। 
• सामनेवाले की स्थिति को समझे बगैर या समझने की कोशिश किए बिना ही बात-बात पर नाराज हो जाना। 
• विचार अलग होने पर दूसरों के विचारों को गलत व महत्वहीन समझना। 
• सामनेवाले की भावनाओं के प्रति असंवेदनशील होकर उन्हें महत्व ना देना। 
• अपने रिश्तेदारों या पार्टनर को सामाजिक समारोहों में या अन्य लोगों के सामने डांटते हैं या उनका मजाक उडाते हैं। 
• सबसे यह उम्मीद रखना कि वो सिर्फ आपका ही ख्याल रखे और आपकी हर बात पर हां में हां मिलाए। 
• अपनी सुविधानुसार नियम बदलना और दूसरों से भी अपनी सुविधानुसार ही व्यहार करने की उम्मीद करना। 
• किसी की भी राय को महत्व ना देकर मनमानी करना।



नंदकिशोर मौसूण, अमरावती
स्वर्णकार रिश्ते

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