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आजकल समाज में सभी तो नहीं कहूंगा लेकिन कुछ लड़किया सयुंक्त परिवार में रहना पसंद नहीं करती इसके कई कारण हो सकते है। लेकिन साथ साथ समाज में ऐसी कई लडकियाँ भी है जो सयुंक्त परिवार में ही रहना पसंद करती है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती मांग भी सयुंक्त फॅमिली में रहना पसंद नहीं करने का कारण बन रही है। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए अपने परिवार के साथ को भी छोड़ने से पीछे नहीं रहती है। आज कि कुछ लड़किया को अपनी आज़ादी जाता पसंद होती है। वो समजती है कि सयुंक्त परिवार में उनको मनचाही आज़ादी नहीं मिल सकती है। सयुंक्त फॅमिली में अपने आप को अजस्टमेंट नहीं कर पाना भी एक बड़ा कारण हो सकता है। उन्हें खुद के लिए थोड़ा स्पेस चाहिए होता है और वह स्पेस उन्हें लगता है अलग रहकर ही मिल पाता है। लेकिन उनको एकल परिवारों में भले ही मनपसंद जीवन जीने की स्वतंत्रता हासिल हो जाती हो पर इन परिवारों में रिश्तों की पहचान खत्म हो जाती है। अपने से बड़ो की इज्ज़त और छोटे से प्यार, हर रिश्ते का अपना महत्व ,दादा- दादी का लाड और कहाँ मिल सकता हैं ये सब कुछ सिर्फ एक संयुक्त परिवार में ही संभव हैं।सुख हो या दुःख दोनों में अपनों का साथ सिर्फ एक संयुक्त परिवार में ही मिल सकता है। अपने बच्चो पर संस्कारों का पाठ एकल परिवार में रहकर पढ़ा पाना बहुत मुश्किल है। 

जाहिर है रिश्तों की सुगन्ध को बचाने के लिए आज सभी को संयुक्त परिवारों को अपनाना चाहिए। अगर आपको अपनों का प्यार,अपने बच्चो पर अच्छे संस्कार,सुख दुःख में सबका साथ,खट्टे -मिट्ठे पल, वो प्यार भरी नोक-झोंक, वो रूठना वो मानना का अनुभव चाहिए तो आपको वो सिर्फ और सिर्फ एक संयुक्त परिवार में मिलना संभव हैं।



स्वर्णकार रिश्ते 
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