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शादी हेतु पाटर्नर में निम्न दस योग्यताओं को देखना जरुरी है। इस हेतु मैं यहाँ कुछ योग्यताओं का उल्लेख कर रहा हूँ। जब हम पार्टनर को खोजने जाएँ तो निम्न बिन्दुओं पर जांचे व प्रत्येक बिन्दु पर मार्किंग कर उसका योग कर निर्णय लें। हम प्रत्येक अर्हता के लिए दस नम्बर रख सकते है। साठ प्रतिशत से अधिक नम्बर आने पर विवाह के सफल होने की प्रबल संभावना है।

1. समायोजन (समझौता करने ) की क्षमता 
इस एक मात्र गुण से विवाह सफल हो जाता है। समरयोजन की वृत्ति न हो और शेष सारे गुड़ हो तो वैवाहिक जीवन के नर्क बनने की पूरी संभावना है। जिसे सहन करना आता है वह सफलता पूर्वक शादी को निभा सकता है। इसे निभाने की कला कहते है।दो व्यक्ति अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आते है। अतः विचार व संस्कारों में अन्तर स्वाभाविक है। मतभेद होेने पर भी दूसरे की इज्जत कर स्वीकारने से गाड़ी सुखपूर्वक आगे बढ़ती है। वैसे भी विवाह एक समझौता है। अतः इसमें साथ निभाने की कला का बड़ा महत्व है।

2. समझदारी
वैसे समायोजन की क्षमता समझदारी से ही आती है। शादी एक सामाजिक संस्था है जो परिवार की बुनियाद है मनुष्य का पूरा जीवन इसके चारों और घूमता है। शादी से कर्तव्य और अधिकार मिलते है। अतः इनका निर्वहन समुचित तरीके से करने के लिए पाटर्नर का समझदार होना निहायत जरुरी है। यहाँ समझदारी का अर्थ दूसरे को समझने व समझाने की क्षमता है। समझदारी सारे गुणों की माँ है।

3. खानदान/परिवार
व्यक्ति अपने संस्कार परिवार से सीखता है। इसीलिए पाटर्नर के परिवार को देखना जरुरी है। अगले के परिवार का चरित्र व इतिहास जरुर पता करें। पत्नी के चुनाव में उसकी माँ का व्यवहार व करनी जरूर ध्यान में रखें। कुछ गुण वंशानुगत होते है अतः उसके परिवार का चाल-चलन व पूर्व इतिहास ज्ञात करें। परिवार की प्रतिष्ठा साफ-सुथरी हो तो अन्यथा होने की गुजाइश कम रहती है।

4. शिक्षा
जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है। शिक्षा से जीवन में बहुत से आयाम खुलते है। पाटर्नर दूसरे साथी की शिक्षा के अनुसार शिक्षित होना चाहिए। 
इन्जीनियर पति होने पर पत्नी का इन्जीनियर होना जरुरी नहीं है। लेकिन स्कूली शिक्षा कम से कम समान स्तर की हो । साथी का आई क्यू भी उत्तम होना चाहिए। वैसे ही यह मसला व्यक्तिगत अधिक है।

5.रुचियाँ/आदतें-
रुचियाँ व्यक्तितत्व को दर्शाती है। रुचियाँ मिलने पर जीवन सहज हो जाता है। समान रूचि वाले के साथ जीवन-मात्रा आनन्द प्रद हो जाती है।जीवन साथी के व्यसनों के बारे में पता कर लें। क्योंकि धुम्रपान, मध्यपान आदि व्यसन कुछ लोगों को बहुत बुरे लगते है। तो शादी के पहले इनके बारे में जानकारी कर लें।

6. आर्थिक स्थिति-
पेशा क्या है?हमारा जीवन अर्थ प्रधान है। उपभोक्ता समाज में कौन कितना खर्च करता है। उससे हम मापते है। समान आर्थिक स्थिति वालों के बीच तेरे-मेरे के झगड़े कम होते है। व्यवसाय, नौकरी, पेशा इन पर विचार आवश्यक है। क्योंकि हर पेशे में एक सोच होती है। क्या आप इस सोच के साथ जी सकते है।

7. सुन्दरता-लूक-
दिखती कैसी है। जीवन में सौन्दर्य भी व्यक्तित्व का हिस्सा है। अतः पाटर्नर का रंग रूप आकार वजन व लम्बाई भी महत्वपूर्ण है। लेकिन बाह्य रूप से ही जीवन नहीं चलता है। गुब्बारा अपने भीतर भरी गैस से उपर उठता है, उसके ब्राह्य रंग से नहीं। जैसा कि किसी ने कहा है कि सुन्दरता की गहराई चमड़ी तक होती है। यदि आप शो बिजनेस में नहीं है तो यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन स्मार्ट साथी होना अच्छी बात है।

8. अपनी अन्र्तप्रज्ञा की सुनें-
प्रथम भेंट पर ही आपके मन में स्वतः गुदगुदी हो व सामने वाला अच्छा लगें तो उसे चुनें। हमारा अचेतन मन कई आधारों से सामने वालो का विश्लेषण कर निर्णय करता है। वे आधार आपको प्रकट नहीं होंगे। लेकिन दिल कहता है कि बस यही है तो उसका भी ध्यान रखें। दिल के अपने आधार है वह ज्ञान से उधर है। भावनाएँ भी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। प्रेम स्वयं भी हो तो एक भाव ही है। अतः इस पर भी पूरा ध्यान दें। दिल मना करें, कारण न मिले तो भी उसके ब्याह न रचाएं क्योंकि आप कभी पूरे दिल से उसे चाह नहीं पाऐंगे।