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आज नही तो कल आप की बेटी किसी के घर की बहु बनेगी या आप के घर बेटे की वधु नई बहू आपके घर आएंगी यह निसर्ग चक्र है। तो हम आज कल की आधुनीक बच्चो के सोच नुसार अपने घर की पुत्र वधु के लिये क्या करना चाहिये इस और थोड़ा ध्यान देते है। नई पुत्र वधु आने पर जिस घर के हम मालक है। समय समय पर बिना खटखटाये घर मे प्रवेश नही करे। सारा समय घर मे तो बिल्कुल न बिताए।
एक दम से पूरे घर की जिम्मेदारी नव वधु पर कभी न डाले। आज कल एक बेटी,बेटे का जमाना है बेटी को हमारे समाज मे फूलों में रखा जाता है। एक बेटी है। तो उस बेटी के सभी सपने अगले के घर पूर्ण होंगे यही सोच कर आप के यहाँ बेटी दी जाती है। हम जिस घर या वातावरण में वर्षो से रह रहे है।एक नई पुत्र वधु के आगमन पर घर के कायदे कानून पुत्र वधु पर लादने की कोशिश बिल्कुल भी न करे।परिवार के सदस्यों के साथ मेल मिलाप बढ़ने पर बहु खुद ही आप के परिवार के इज्जत का सम्पर्ण ख्याल रखती है। आज कल लडकिया बहुत कम पेशन वाली होती है। बच्ची के माता पिता के खिलाफ या लेन देन रीति रिवाज का मसला बहु के सामने बिल्कुल भी न करे। हमे यह ध्यान रखना है कि अगले परिवार की बेटी हमारी बेटी बन कर घर को महकाये दिन भर कीच कीच न करे। बहु नई हो तो बेटे को बार बार काम के लिये सामने जलील न करे आप की गरिमा बहु के नजर में खत्म हो सकती है। आज कल की बेटियां माता पिता के यहाँ 4 लोगो का खाना तक नही बनाती है,तो 10-20 लोगो का खाना वह बनाये यह अपेक्षा भी नही करनी चाहिए। अगर हमारा परिवार धन सप्पन है। तो बहु के साथ किचन में काम काजी महिलाओं को साथ देने के लिये रखना चाहिए। अन्यथा ज्यादा प्रेशर हो सकता है।
हप्ते में एक बार या महीने ने कम से कम पुत्र एवम वधु को होटल,मूवी,एवम शॉपिंग को समय देना चाहिये अन्यथा-बच्चिया घुटन महसूस करती हैं जो टेंशन हो जाता। जिस तरह की हम ने बहु अपने घर लाई है,उस तरह के कपड़े,शौक,खर्च,या कोई हॉबी के लिये हम घर के कर्ता है इस बात को समझना जरूरी है।
जो बेटी अगले ने हमारे घर दी उनका हमेशा ही सम्मान करना चाहिये।इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिये कि जो बहू हमने घर लाये है।उस बहु के जीवन उपयोगी खर्च के लिये सामने से बहु मांग करे उस से पहले ही उसे रुपये मासिक खर्च के लिये देने चाहिये। (याद रखे कि आज हम 24 घण्टे हमारे घर का और परिवार का ध्यान रखने वाली हमारे धन की हिफाजत करने वाली कितने भी रुपये मासिक पर ला नही सकते)।
एक स्त्री को दोनो परिवार के लिये काम करना पड़ता है
इस लिये बहु को कर्ता व्यक्ति ने बिना मागे खर्च वहन केलिये धन देना चाहिये। (अपनी योग्यता नुसार)
एक बहु को फोन रिचार्ज,अपने निजी कपड़े,बीयूटी पार्लर हल्की फुल्की रोज मर्रा के काम होते है
वह हमसे मांग करे। इस से पहले ही एक योग्य रक्कम (अपनी योग्यता नुसार ) देनी चाहिये। आप अपने बहु को
बेटी मानते हो उस की छोटी छोटी गलतियां न गिनाए.

आप के परिवार की बहु है।आप का रुतबा समाज मे बना रहे इस लायक ही बहु को रखना चाहिये। जब भी हमे समय मिले बहु को यह जरूर पूछना चाहिय बेटी तुम्ह कोई तकलीफ तो नही है कुछ हो तो मुझे कहो ताकि आप बहु के ससुर कम और पिता ज्यादा बन जाये। आज कल बेटिया ज्यादा शिक्षित है। हमारे व्यवसाय में बेटी बना कर हमारे साथ कभी कभी काम के लिए लेना चाहिए(रुचि नुसार)।

हमने दिया हुआ धन हमारी बहु हमारे घर को एवम परिवार पर ही खर्च करती है, वह हमारे घर को स्वर्ग बनाएगी। इतना विश्वास होना चाहिये।हम ने जो धन बहुत महेनत कर के करोड़ो का कमाया है।उस धन का वारिस हमारी बहु ही हमे देती है। इस लिये इस बात को समझना आवश्यक है। बहू खुश तो परिवार खुश, अन्यथा दोनो परिवार दुःखी तो क्या उपयोग उस करोड़ों रुपये का। बहु का ख्याल रखो आप के परिवार को कभी निराश नही करेंगी यह पूर्ण सत्य है। आप के सदियों पुराने घर के नियम लाडो मत प्यार से सब कुछ आसान हो जाता।हमारी बेटी के लिये जो जरूरी है वो हम वो सब कुछ खर्च करते है।तो बहु भी किसी की बेटी है। यह ध्यान। रखो आज कल आप नई पीढ़ी के साथ नही ढल पाए तो अंग्रेज के जमाने की दूजी बहु कहा से लाओंगे। समय के साथ घर मे घर के मुखिया ने परिवर्तन करना ही चाहिए। एक नही मिल रही दूजी इस से आछी मिलेंगी यह सोच खत्म कर दो।
उपरोक्त बाते आज जरूरी लगती है। परिवार को टिकाने के लिये आप मानो न मानो आप के परिवार की गरिमा आप के विचारों में है।