वाकई में देश बदल रहा है बच्चे आज कल के माता-पिता की सुनते नही है। बच्चियों को घर का खाना कम पिज्जा ज्यादा भा रहा है। जिस घर मे बहु आई वह घर नही बदला (स्वभाव ,विचार, एवम पुराने विचार) तो बहु ज्यादा दिन आप के घर टिकने वाली नही हैं।जैसा आज परिवेश है वैसे परिधान और खान पान।अपने पुराने विचारों को बदलते देश के साथ बदलते वक्त के साथ बदल दो। एक शादी बड़ी मुश्किल से हो रही दूसरी के चक्कर सिर्फ परिवार की बर्बादी। आज के स्थिति में परिवार नियम से नही प्यार से चलता है सोचो। सास-ससुर बन कर अब घर नही चल सकता,माता-पिता बन कर घर चलाना आवश्यक हो गया है।अगर आप चाहते हों कि आपके घर की बहु खुश रहे तो बहु को सिर्फ मनचाहे कपड़े पहनने की आज़ादी,घर में झाड़ू-पोझा,बर्तन धोने के लिये कामवाली बाई और महीने में 2 बार शॉपिंग,घूमने,बाहर खाने और फ़िल्म देखने की आज़ादी दे दीजिए।आपका घर स्वर्ग बन जायेगा। समय के साथ बदलाव जरूरी है। बहु को बेटी की तरह आज़ादी दे दीजिए बस बहु भी खुश और आप भी खुश।
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