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"शादी के लड्डू जो खाए सो पछताए और जो न खाए वो भी पछताए". इस सिद्धांत में जीने वालों लोगो का वैवाहिक जीवन का रिश्ता मोतीचूर के लड्डू के दानों की तरह एक दुसरे से इतनी कमजोरी से चिपका रहता की एक हलकी सी चोट में टूट कर बिखर जाता है. और फिर उसको जोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसी सोच आती ही क्यूँ है? हम लोगों की जब शादी होती है तो उसके पहले ही हम अपने होने वाले पति या पत्नी के बारे में अपने मन में एक लिस्ट बना डालतें हैं की वो मेरे लिए क्या करेगी या करेगा. वास्तव में जब वैवाहिक जीवन की शुरुवात होती है तो हम अपने लिस्ट के अनुसार अपने जीवन साथी को ढालने की कोशिश में लग जाते हैं और जब असफल होने लगते हैं तो एक अलग सी असंतोष वाली लिस्ट भी मन में तैयार हो जाती है जिसमे हमारे जीवनसाथी की असफलता का उल्लेख होता है. दिन जब बीतने लगते हैं तो असंतोष की लिस्ट अपनी सीमा से बाहर चली जाती है और हम अपनी किस्मत और हमसफर को कोसना शुरू कर देते हैं और उसमे कहीं से भी कमी नहीं बरतते और बस उसी दिन से हम शादी को लड्डू की संज्ञा दे डालते हैं.

लेकिन दिक्कत की जड़ है कहाँ? क्या हम कभी सोचने की कोशिश करते हैं ? सच बोलूं तो नहीं, अगर जरा गौर से सोचें तो हम अपने जीवन में मीठास ही मीठास भर सकते हैं, पर उसके लिए हमें रसगुल्ले की तरह होना पड़ेगा जो रस की मिठास में डूबा रहता है और बाहरी दबाव में भी अपना आस्तित्व नहीं खोता, हाँ कुछ पल के लिए रसविहीन होता है पर पुराने रूप में वापस आने में देर भी नहीं करता. हमें इसी तरह अपने जीवन की मिठास को बरकरार रखना है, उसके लिए सबसे पहले ये मान लेना है की इस दुनिया में कहीं भी,कोई भी व्यक्ति हमारे जैसा नहीं है और हम जैसा चाहते हैं, वैसा सामने वाला भी सोचेगा और करेगा, ऐसा नहीं है. हमने अपने जीवन साथी को जिस रूप और व्यवहार में पाया है. उसी तरह उसे महसूस करें और अपने दिल और दिमाग में जगह दें. उसे इतना प्यार दें , पहले ही दिन से कि उसे हमेशा एक प्रेमी या प्रेमिका जैसा एहसास हो, जैसा कि विवाह पूर्व होता है. जब आपका हमसफर इस प्रेम की मीठास में खो जाएगा तब वो आपको इतना प्यार देगा जिसमे वो सारी चीजें होंगी जिसका उल्लेख आपने अपनी शुरुवाती लिस्ट में किया होगा. आपके लिस्ट वाले सपनों को पूरा होने में देर नहीं लगेगी. पर हाँ, अपने सपनों को पूरा करने और सोचने के पहले अपने जीवन साथी के सपनों को भी उतनी ही अहमियत दें. जब आप दोनों मन से एक हो जायेंगे, बात और सोच दिल से होगी, लिस्ट से नहीं तो फिर सपने भी एक हो जायेंगे. फिर मजा आएगा उन सारे सपनों को पूरा करने में, दिल से और फिर महसूस होगा, की लड्डू का आस्तित्व मुहावरों में नहीं, मिठाई की दूकान में ही बस है.